V.S Awasthi

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पंचम रूप स्कंदमाता

पंचम रूप स्कंदमाता
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पंचम रूप धरेव जग माहीं
चार भुजा धारण कर आहीं
पुत्र स्कंद को गोद बिठाया
तारकासुर का अंत कराया

ज्ञान, बुद्धि और बल की माता
सारा जग है तुमको ध्याता
जो जन ध्यान तुम्हारो लावै
सो तुरतहिं वांछित फल पावै

एक हस्त में कमल सुशोभित
दूजे हांथ खड़ग मनमोहित
करतीं दया, प्रेम की वर्षा
दर्शन पा भक्तों का मन हर्षा

पथिक भी मां का पूजन करता
पंचम रूप का दर्शन करता
माता अब सुन लो विनय हमारी
तुम्हरी महिमा है अपरम्पारी

सिंह वाहिनी चढ़ि घर आओ
भक्तन की मां लाज बचाओ
भक्तन को मां आन उभारो
धरती से दुष्टन को संहारो
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

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8 Comments

Abhinav ji

27-Mar-2023 08:53 AM

Very nice 👌

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सुन्दर रचना

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Reena yadav

27-Mar-2023 06:15 AM

👍👍

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